प्रकृति के न्याय से बड़ा कोई न्याय नहीं है, ये बाढ़ नहीं प्रकृति का न्याय है, ना समझों ने जिन स्थानों पर जल का अतिदोहन किया था ,प्रकृति ने भी उन स्थानों पर अति दयालुता दिखाई है, यहां पर आप प्रकृति के वरदान को आप भूमिगत ही नहीं कर पाए , तो इसमें किसकी गलती है, स्वयं ही विचार करें।

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