Posts

प्रकृति के न्याय से बड़ा कोई न्याय नहीं है, ये बाढ़ नहीं प्रकृति का न्याय है, ना समझों ने जिन स्थानों पर जल का अतिदोहन किया था ,प्रकृति ने भी उन स्थानों पर अति दयालुता दिखाई है, यहां पर आप प्रकृति के वरदान को आप भूमिगत ही नहीं कर पाए , तो इसमें किसकी गलती है, स्वयं ही विचार करें।
क्या विडंबना है, जहां अभी कुछ माह पहले जल की कमी का सामना करना पड़ रहा था, वे स्थान जलमग्न है, तथा भीषण बाढ़ का सामना कर रहे है, जी हां मित्रों मै बात कर रहा हूं, भारत के दक्छिन पश्चिम भाग की
Namaskaar मित्रों, कैसे हैं आप